
बच्चों को जनम देकर और पाल पोसकर ही माँ बाप का कर्त्तव्य पूरा नहीं हो जाता | बच्चों मैं अच्छे संस्कार देना भी माँ बाप का काम है | उन्हें एक जिम्मेदार नागरिक बनाकर देश और समाज को सोंपना है इसीलिए माँ बाप को शुरू से ही ऐसी योजना बनानी चाहिए जिससे बच्चे को प्यार और ममता के साथ साथ हर वक्त कुछ सिखने को भी मिले | बच्चा जो देखेगा वही सीखेगा | बच्चे की सिखने की प्रक्रिया बहुत तेज होती है |एक समझदार माता पिता ही संस्कारी बच्चे को तैयार कर सकते हैं | बच्चे को अनुशाशन में रखना बहुत जरूरी है | खेल कूद के साथ साथ उसके खाने पीने का और पढने लिखने के लिए एक स्वस्थ माहोल तैयार करना होगा | अगर माता पिता खुद ही लापरवाह होंगे तो बच्चे को क्या सिखायेंगे | इसके लिए बच्चे को पूरा वक़्त भी देना होगा | खेल खेल में बच्चे को बहुत कुछ सिखाया जा सकता है | घर के बड़ों की इजात करना मान सम्मान करना , भगवान् के प्रति श्रद्धा और आस्था रखना यह सब बच्चा छोटे उम्र में ही सीख सकता है | जय एक बहुत ही प्यारा बच्चा था जब वह पहली बार स्कूल गया तो किसी अन्य बच्चे की पेंसिल घर ले आया | माँ ने यह देखा तो पुचा कि यह पेंसिल किसकी है तुम्हारे पास कैसे आई | बच्चे का जवाब देखके माँ चौंक गई | बच्चे ने बताया कि मुझे यह पेंसिल बहुत अच्छी लगी इसीलिए में चुपचाप इसे बैग में रखकर ले आया | तब माँ ने जय को समझाया की तुम्हारे पास इतने अच्छे-२ खिलोने है अगर कोई उनको चुपचाप चुरा ले जाये तो तुम्हे कैसा लगेगा | जय तुरा तुरंत बोला मै अपने खिलोने किसीको नहीं लेने दूंगा | मै उसको मारूंगा | तब माँ ने कहा कि जिस तरह तुम्हारी कोई चीज़ कोई और चुपचाप लेले तो तुम्हे कितना क्रोध आता है | उसी प्रकार तुम किसीकी चीज़ ले लोगे तो उसे भी तो बुरा लगेगा ना | अब जय की समझ में आ गया उसने गलत काम किया है | उसने फिर वादा किया कि वह पेंसिल वापिस कर देगा और सॉरी भी बोलेगा | इसी तरह छोटी छोटी बातोन से बच्चे को संस्कार मिलते हैं | अच्छाई और बुराइ की समझ भी आती है |
इसी तरह एक लड़का था पवन | उसे खरीदारी सिखाने के उद्देश्य से उसके पापा ने पैसे देकर घर के नीचे की दूकान से ब्रेड लाने को कहा और कहा कि चार रूपए वापस लेकर आना | वो ख़ुशी ख़ुशी ब्रेड खरीदकर वापस आया | और बोला आपने तो चार रूपए कहा था | मै तो ६ रूपए लेकर आया हूँ | उसे लगा कि उसने बहुत अच्छा काम किया है शाबाशी मिलेगी लेकिन पापा ने उसे प्यार से समझाया कि कभी कभी
जल्दबाजी में बड़ों से भी गलती हो जाती है | दुकानदार ने भूल से तुम्हे ज्यादा पैसे दे दिए | अपने को किसीके भूल गया गलत फायदा नहीं उठाना है | दो रूपए वापिस करके आओ | इसी तरह बच्चों के चरित्र में मान में हर एक कदम सतर्कता और साम्झ्दारी से रखनी पड़ती ह